हरियाणा के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक शानदार खबर आई है। राज्य सरकार ने Mid-Day Meal योजना के तहत मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता और बजट दोनों को बढ़ाने का फैसला लिया है। इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा बच्चों को मिलेगा क्योंकि अब उनकी थाली में न सिर्फ ज्यादा पोषण होगा, बल्कि भोजन की गुणवत्ता भी पहले से बेहतर होगी। साथ ही, इस योजना से जुड़े Cook cum Helper के काम की अहमियत भी अब और बढ़ गई है।
सरकार के इस फैसले का मुख्य उद्देश्य स्कूलों में बच्चों को बेहतर खाना देना है ताकि उनका पोषण बेहतर हो और वे पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दे सकें। महंगाई और ईंधन की बढ़ती लागतों को देखते हुए यह कदम न सिर्फ समय पर लिया गया है, बल्कि स्कूलों की रसोई के लिए भी एक राहत की बात है।
क्या है Mid-Day Meal योजना?
Mid-Day Meal यानी मध्याह्न भोजन योजना, भारत सरकार की एक खास पहल है जो पहली से आठवीं कक्षा तक के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मुफ्त में गर्म और पौष्टिक खाना उपलब्ध कराती है। इसका मकसद है बच्चों को कुपोषण से बचाना, स्कूल में उनकी उपस्थिति बढ़ाना और सामाजिक समानता को बढ़ावा देना। हरियाणा में यह योजना बड़े स्तर पर चल रही है और इसमें लगातार सुधार किया जा रहा है।
बजट में हुआ इजाफा — नए रेट्स क्या हैं?
हरियाणा सरकार ने 1 मई 2025 से मिड-डे मील के लिए मिलने वाली राशि में बढ़ोतरी का ऐलान किया है:
- कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के लिए राशि ₹6.19 से बढ़ाकर ₹6.78 प्रति दिन कर दी गई है।
- कक्षा 6 से 8 तक के लिए ₹9.29 से बढ़ाकर ₹10.17 प्रति दिन कर दी गई है।
इस बढ़ोतरी से स्कूलों को भोजन तैयार करने के लिए राशन, सब्जी और गैस जैसे जरूरी सामान खरीदने में आसानी होगी।
ISKCON द्वारा प्रबंधित रसोई व्यवस्था
हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद, कुरुक्षेत्र और पलवल (हथीन को छोड़कर) जिलों में मिड-डे मील की रसोई का संचालन ISKCON संस्था करती है। यहां खाना सेंट्रल किचन में तैयार होता है और फिर स्कूलों तक पहुंचाया जाता है। वहीं बाकी 18 जिलों में स्कूल प्रबंधन खुद ही भोजन तैयार कराते हैं। इन स्कूलों में प्रिंसिपल या प्रभारी शिक्षक की निगरानी में कुक कम हेल्पर खाना बनाते हैं।
कुक कम हेल्पर की भूमिका और मानदेय
बढ़ते काम के साथ Cook cum Helper की जिम्मेदारी भी बढ़ी है। फिलहाल हरियाणा सरकार इन महिलाओं को हर महीने ₹1650 का मानदेय देती है। स्कूल में छात्रों की संख्या के आधार पर इनकी नियुक्ति होती है:
- 50 छात्रों तक – 1 कुक कम हेल्पर
- 51-150 छात्रों पर – 2
- 151-300 छात्रों पर – 3
- 301-500 छात्रों पर – 4
- 501-750 छात्रों पर – 5
इस व्यवस्था से यह सुनिश्चित होता है कि खाना समय पर और साफ-सफाई से तैयार हो।
पारदर्शिता के साथ होता है भुगतान
मिड-डे मील के लिए जरूरी सामान जैसे राशन, सब्जी या गैस खरीदने की जिम्मेदारी स्कूल के प्रधानाध्यापक की होती है। लेकिन खर्च का भुगतान तभी होता है जब School Management Committee (SMC) इसकी सिफारिश करती है। इससे पूरे सिस्टम में पारदर्शिता बनी रहती है।
बच्चों को मिल रहा है क्या?
मिड-डे मील के तहत बच्चों को संतुलित और पौष्टिक आहार दिया जाता है, जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और मिनरल्स शामिल होते हैं। आम तौर पर उन्हें ये चीजें दी जाती हैं:
- खिचड़ी
- दाल-चावल
- सब्जी-रोटी
- हरी सब्जी और सलाद
- कभी-कभार फल और मीठा भी
इस तरह का भोजन बच्चों को सेहतमंद रखने में मदद करता है और उनकी पढ़ाई में भी ध्यान लगाने में सहायक होता है।
टीचर एसोसिएशन ने क्या कहा?
हरियाणा प्राइमरी टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष हरिओम राठी और कोषाध्यक्ष चतर सिंह ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। हालांकि, उन्होंने सुझाव दिया कि सभी कक्षाओं के लिए समान दरें लागू की जानी चाहिए थीं। उनके अनुसार ₹0.58 और ₹0.88 की बढ़ोतरी पर्याप्त नहीं है, खासकर जब महंगाई इतनी तेजी से बढ़ रही हो।
हरियाणा सरकार का यह कदम न सिर्फ बच्चों की सेहत को बेहतर बनाएगा, बल्कि स्कूलों की रसोई को भी मजबूती देगा। यह बदलाव आने वाले समय में बच्चों के पोषण स्तर, पढ़ाई में ध्यान और स्कूलों की समग्र व्यवस्था को सकारात्मक दिशा में ले जाएगा।